Wednesday, 31 May 2017

भूगोल की परिभाषाएं (Definitions of Geography)


समय समय पर विभिन्न विद्वानो द्वारा भूगोल की विभिन्न परिभाषाएं दी गई है जिनमें से मुख्य इस प्रकार हैं-
स्ट्रैबो के अनुसान- “भूगोल एक ऐसा स्वतंत्र विषय है, जिसका उद्देश्य लोगो को इस विश्व (भूमण्डल) का, आकाशीय पिण्डो का, स्थल, महासागर, जीव जन्तुओं, वनस्पतियों, फलों, तथा भूधरातल के क्षेत्रों में देखी जाने वाली प्रत्येक अन्य वस्तु का ज्ञान प्राप्त कराना है।
क्लैडियस टालमी के अनुसार - “भूगोल पृथ्वी की झलक को स्वर्ग में देखने वाला आभामय विज्ञान है। (Geography is the sublime science that sees the reflection of the earth in the heavens.)
हम्बोल्ट(1759-1859) के अनुसार- “भूगोल अध्ययन से संबंधित विद्या है। अन्य सभी वास्तविक विज्ञान चाहे वह प्राकृतिक हों अथवा जैविक, पृथ्वी की घटनाओं से संबंधित होते हैं। ऐसे विज्ञान व्यक्तिगत रूप मेँ पशु, वनस्पति, अन्य ठोस पदार्थ या जीवाशेष की बनावट एवं प्रक्रिया का ही अध्यन है जबकि भूगोल का संबंध मेँ उपर्युक्त सभी वस्तुओं से एक साथ सहसंबंधित रुप मेँ जैसी कि वह किसी क्षेत्र मेँ सामान्यतः पायी जाती है, के वर्णन एवं अध्यन से है।
कार्ल रिटर के अनुसार- “भूगोल वह विज्ञान है, जिसमें पृथ्वी को स्वतंत्र ग्रह के रूप में मान्यता देते हुए उसके समस्त लक्षणों, घटनाओं एवं उसके अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
आर्थर होम्स के अनुसार- “भूगोल में पृथ्वी के उस भाग का अध्ययन किया जाता है, जो मानव के रहने का स्थान’ (Earth as a home of Man) है।
स्टाम्प के अनुसार- “भूगोल में पृथ्वी तल का वर्णन, क्षेत्रों की विभिन्नताओं और संबंधों के प्रसंग में किया जाता है।
हार्ट शोर्न के अनुसार- “भूगोल प्रकृति के अध्ययन से संबंधित विद्या है।
इमेनुआल काण्ट के अनुसार- “भूगोल भूतल का अध्ययन है। यह भूतल के भिन्न-भिन्न भागो में पाई जाने वाली भिन्नता की पृष्ठभूमि में की गई व्याख्या है।
ओ.एच.के.स्पेट के अनुसार- “आधुनिक भूगोल मानव के भौतिक, प्रणिजैविक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण (Physical, Biological and Cultural Environment) की ओर हमारा ध्यान आकर्षण कराता है।
रिचथोफेन के अनुसार- “भूगोल में पृथ्वी तल के विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन उनकी समग्र विशेषताओं के आधार पर किया जाता है।
वारेनियस(1622-1650) के अनुसार- भूगोल पृथ्वी की सतह को अध्ययन का केंद्र मानकर उसे समझाने वाली विद्या है। इसके अंतर्गत जलवायु, धरातलीय लक्षण, जल एवं मरूभूमि, खनिज एवं पशु व भूतल पर बसे मानव जेसे तत्वो का निरिक्षण एवं वर्णन होता है।



भूगोल क्या है? (What is Geography?)



भूगोल वह शाश्त्र है जिसके द्वारा पृथ्वी के उपरी स्वरूप और उसके प्राकृतिक विभागों जैसे- पहाड़, नदियाँ, सागर, महासागर, झील, ज्वालामुखी, ज्वार-भाटा, भूकम्प, महादेश, देश, नगर आदि का अध्ययन किया जाता है
भूगोल या जियोग्राफी सम्पूर्ण ब्रम्हांड में मानव के निवास के रूप में वर्तमान समय तक प्रमाणित एकमात्र ग्रह पृथ्वी के बारे में तथ्यात्मक विवरणों के साथ सम्पूर्ण अध्ययन करने वाला विज्ञान है। भूगोल (भू + गोल) का शाब्दिक अर्थ है गोल प्रथ्वी। वास्तव में यह शब्द पृथ्वी के मात्र एक ही गुण का परिचायक है न कि सम्पूर्ण भूगोल की वास्तविक सीमाओं का।
भूगोल एक प्राचीनतम विज्ञान है और इसकी नींव प्रारंभिक यूनानी विद्वानों के कार्यों में दिखाई पड़ती है। भूगोल शब्द का प्रथम प्रयोग यूनानी विद्वान इरेटॉस्थनीज ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में किया था। आरंभ में भूगोल सामाजिक शास्त्रों (Social- Sciences)  का ही एक भाग था।  भूगोल विस्तृत पैमाने पर सभी भौतिक व मानवीय तथ्यों की अन्तर्क्रियाओं और इन अन्तर्क्रियाओं से उत्पन्न स्थलरूपों का अध्ययन करता है। यह बताता है कि कैसे, क्यों और कहाँ मानवीय व प्राकृतिक क्रियाकलापों का उद्भव होता है और कैसे ये क्रियाकलाप एक दूसरे से अन्तर्संबंधित हैं।
भूगोल यानी Geography शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है। Geo+Graphy अर्थात् Geo जिसका अर्थ होता है प्रथ्वी और Graphy का अर्थ होता है वर्णन करना। अतः सामान्य शब्दों में पृथ्वी के धरातल के वर्णन को ही भूगोल कहा जाता है।

  • भूगोल के लिए जियोग्राफिका शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम यूनानी विद्वान इरेटोस्थनीज ने किया था।
  •  हिकैटियस को भूगोल का पिता कहा जाता है जिसकी प्रसिद्ध पुस्तक जेसपेरियोड्स है।
  •   आधुनिक भूगोल का पिता अलेक्जेन्डर वाँन हम्बोल्ट को माना जाता है।
  •     विश्व ग्लोब के प्रथम निर्माता मार्टिन बेहम थे।
  •   विश्व मानचित्र के प्रथम निर्माता आग्नेजी मेंडर थे।

Tuesday, 30 May 2017

प्रागैतिहासिक काल(Prehistoric Age)



आदि या प्रारंभ से 3300 ई. पू. तक के समय को प्रागैतिहासिक काल कहा जाता है । इस समय मानव का अस्तित्व तो था पर लिपि का विकास न होने के कारण किसी प्रकार का लिखित वर्णन उपलब्ध नही है। इस काल में मानव छोटे छोटे कबीलों में रहता था तथा शिकारी जीवन व्यतीत करता था। इस काल की प्रमुख घटनाएं, हिमयुग , मानव का अफ्रीका से निकल कर अन्य प्रदेशों में विस्तार, अग्नि का आविष्कार, कृषि का आविष्कार, जानवरों को पालतू बनाना आदि शामिल है। इस काल के केवल अवशेष पत्थर के औजार, गुफाओं की चित्रकला, तथा हड्डियो के औजार आदि उपलब्ध हैं।
प्रागैतिहासिक काल को तीन भागो में विभाजित किया जा सकता है।

पुरा पाषाण काल-  25-20 लाख ई.पू. से 12,000 ई.पू. तक
 मध्य पाषाण काल- 12,000 ई.पू. से 10,000 ई.पू. तक
नव पाषाण काल- 10,000 ई.पू. से 3300 ई.पू तक

काल के आधार पर इतिहास का विभाजन



काल के आधार पर भारकीय इतिहास को तीन भागो में विभाजित किया जा सकता है जो निम्न प्रकार से है-


प्रागैतिहासिक काल :-
  1. वह काल जिसका कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है ।
  2. इसमे मानव का जीवन पूर्णत: सभ्य नही था ।
  3.  इस काल के इतिहास के लिए पुरातात्विक साक्ष्यो पर निर्भर रहना पड़ता है ।
आद्य ऐतिहासिक काल :-
  1. इस काल मे लिखित साक्ष्य तो प्राप्त होते है किन्तु गूढ़ लिपि के कारण पढ़ा नहीं जा सकता है .।
  2.   इस काल की जानकारी पुरातात्विक तथा साहित्यिक दोनो तरह के साक्ष्यो पर आधारित है ।
  3.  हड़प्पा तथा वैदिक सभ्यता का अध्ययन इसी काल के अंतरगत किया जाता है .।
ऐतिहासिक काल :-

  1.  इस काल के सम्बन्ध मे लिखित साक्ष्य भी प्राप्त होते है व उन्हे पढ़ा भी जा सकता है ।
  2. इस काल का मानव सभ्य बन गया था
  3. इस काल के विषय मे पुरातात्विक व साहित्यिक साक्ष्यो के साथ विदेशियो के विवरण से भी जानकारी प्राप्त होती है ।

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