Tuesday, 6 June 2017

पर्यावरण क्या है?



लम्बी छुट्टीयों के बाद जब रवि स्कूल जा रहा था, तब उसने देखा कि उसके स्कूल के निकट के खेल के मैदान में खुदाई हो गई थी। वही एक मैदान उनके खेलने के लिए वहां था। लोगो ने बाताया कि वहां अनेक फ्लैटों वाली एक बड़ी इमारत बनेगी। जब रवि को समझ में आया कि मुलायम घास, गेंदे के फूल एवं तितलियो वाला विशाल मैदान अब हमेशा के लिए नष्ट हो चुका है तो उसकी आँखों में आँसू छलकने लगे। उसने यह बात अपने सहपाठियो को बताई। सुबह की सभा में प्रदानाचार्य ने भी बहुत उदासी से कहा, देखो कैसे हमारा पर्यावरण बदल रहा है।
कक्षा में पहुँच कर रवि ने अपने शिक्षक से पूँछा, पर्यावरण क्या है?” “जो कुछ भी अपने आस पास देखते हो, शिक्षक ने बाताया।
रवि कहने लगा इसका अर्थ है, स्कूल भवन, मेज़, कक्षा में रखी कुर्सियाँ, यहाँ तक की खुला मैदान, सड़क,कूड़ा-करकट, मेरे दोस्त, ये सभी हमारे पर्यावरण के अंग हैं।
हाँ शिक्षक ने कहा, लेकिन ज़रा रुको......कुछ वस्तुओं का निर्माण प्रकृति ने किया है-जैसे, पर्वत,नदियाँ, पेंड़, प्राणी। जबकि अन्य का निर्माण मानव द्वारा किया गया है –जैसे, सड़क, कार, कपड़े, किताब आदि।
उपर के वार्तालाप से आप समझ गए होंगे कि किसी भी जीवित प्राणी के चारो ओर पाए जाने वाले लोग, स्थान, वस्तुएँ एवं प्रकृति को पर्यावरण कहते हैं। यह प्राकृतिक एवं मानव निर्मित परिघटनाओं का मिश्रण है। प्राकृतिक पर्यावराण में पृथ्वी पर पाई जाने वाली जीवीय एवं अजीवीय दोनो परिस्थितियाँ सम्मिलित हैं, जबकि मानवीय पर्यावरण में मानव की परस्पर क्रियाएँ, उनकी गतिविधियाँ एवं उनके द्वारा बनाई गई रचनाएँ सम्मिलित हैं।
(NCRT-6)

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